Tuesday, October 5, 2010

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आखिर चार दिन के बाद सुन्नी वक्फ बोर्ड ने अयोध्या विवाद को सुप्रीम कोर्ट में ले जाने का ऐलान कर दिया है। जाहिर है कि भाई लोग नहीं चाहते कि इस विवाद का कोई अंत हो। मतलब साफ़ है कि कुछ लोगो को बिना अयोध्या के अपना अस्तित्व ही नज़र नहीं आता इसलिए अपनी रोटी चलने के लिए उनको यह विवाद जिन्दा रखना ही है। क्योंकि वे जानते है कि जब तक यह विवाद रहेगा उनकी दुकान चलती रहेगी। अयोध्या में विवादित जमीन पर मालिकाना हक संबंधी हाल में निस्तारित मुकदमे के प्रमुख पक्षकार सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने मंगलवार को हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का ऐलान किया। साथ ही कहा कि उसने मसले का बातचीत के जरिए हल निकालने के लिए अब तक किसी भी व्यक्ति को अधिकृत नहीं किया है।
बोर्ड के अध्यक्ष जफर अहमद फारूकी ने बताया कि बोर्ड की आज हुई आपात बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि अयोध्या मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ द्वारा गत 30 सितंबर को सुनाए गए फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी।
उन्होंने बताया कि बैठक में स्पष्ट किया गया कि बोर्ड ने मसले के समाधान के लिए बातचीत करने को अब तक किसी को भी अधिकृत नहीं किया है।
गौरतलब है कि अयोध्या में विवादित जमीन संबंधी मुकदमे के पक्षकार हाशिम अंसारी ने पिछले दिनों विवाद का बातचीत के जरिए हल निकालने की कवायद शुरू करते हुए कहा था कि वह सुन्नी वक्फ बोर्ड के कहने पर ऐसा कर रहे हैं।
बोर्ड के बयान के मुताबिक बैठक में सर्वसम्मति से यह निर्णय भी लिया गया कि मामले के पक्षकारों की तरफ से अगर सुलह-समझौते का कोई प्रस्ताव आता है तो बोर्ड के अध्यक्ष को उस पर फैसला लेने का अधिकार होगा।
बोर्ड के अध्यक्ष को यह भी अधिकार दिया गया कि वह हाईकोर्ट के फैसले के विरुद्ध अपील तथा अन्य कानूनी कार्रवाई के सिलसिले में जरूरी कार्रवाई करें। इस बीच, बोर्ड के वकील जफरयाब जिलानी ने संगठन द्वारा सुप्रीम कोर्ट में कल चुनौती याचिका पेश करने की अटकलों को खारिज करते हुए कहा सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर करने के लिए हाईकोर्ट के फैसले की सत्यापित प्रति प्राप्त होना जरूरी है। वह प्रति अब तक जारी नहीं हुई है लिहाजा कल याचिका पेश किए जाने का सवाल ही नहीं उठता।

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