Saturday, January 29, 2011

जोजहाँ में सबसे न्यारा है

सबसे ज्यादा प्यारा है

कहते है हम जिसको अपना

वो भी नाम तुम्हारा है.

Sunday, January 16, 2011

मन के जीते जीत है मन के हारे हार।

जिसको जैसा मन मिले वैसा दिखे संसार । ।

जीत लिया मन आपना नहीं फिर मन सा मीत ।

शत्रु भी इससे न बड़ा जो न पाए जीत । ।

- श्रीमद्भागवद्गीता

सिर्फ रोने से काम नहीं होता

हर जुबां पे कलाम नहीं होता

यूँ तो अब भी बहुत हैं कौशल्यायें

हर कोख में मगर राम नहीं होता

कुछ तो मजबूरी रही होगी

यूँ ही कोई नमकहराम नहीं होता

ये चलकर नहीं रुका करता

समय का कोई विराम नहीं होता

अजय को पत्थर ही समझना लेकिन

हर पत्थर सालिग्राम नहीं होता

Sunday, January 9, 2011

एक आदमी का जिस्म क्या है जिस पे शैदा है जहाँ

एक मिटटी की इमारत एक मिटटी का मकां

खून का गारा बना है ईंट इसकी हड्डियाँ

चाँद सांसों पे टिका है ये खयाले आशियाँ

मौत की पुरजोर आंधी जब इसे टकराएगी

टूटकर सारी इमारत खाक में मिल जाएगी !!

Tuesday, January 4, 2011

जैसे आकाश हो विराट और उसमे हम ढूंढें थोडा सा अवकाश

मगर समय सरगोशी कर कहे अनंत हूँ मै भी इसी आकाश सा

आकाशं का कोई अंत नहीं है और समय का कोई विराम नहीं है

दोनों ही हैं अपनी अपनी अनंत यात्रा पर अनथक

दोनों के ही शब्द कोष रिक्त हैं अवकाश से