Saturday, April 17, 2010

हे देश !

क्रिकेट के खेल के राज धीरे धीरे खुल रहे हैं .देश के दिग्गज व्यापार घराने हजारों करोड़ रुपये लेकर मैदान में उतारे है। क्या इससे देश का विकास होना है ? या धन का भोंडा प्रदर्शन है यह ? कितना दुर्भाग्य पूर्ण है कि इस देश के आधे से अधिक गाँव आज भी विकास के लिए तरस रहे हैं और हमारे ही समाज के बड़े लोग अपने मज़े के लिए हजारो करोड़ लुटाने को उतावले हो रहे है मगर किसी को सेष या देशवासियों की कोई चिंता नहीं है कोई भी बड़ा घराना देश के अविकसित गाँव को गोद लेना नहीं चाहता , क्यों ?

Friday, April 2, 2010

saniya

सानिया को भा गया बालम पाकिस्तानी
आहें भरते फिर रहे कुवाँरे हिन्दुस्तानी
मज़ा मिलकर ले रहे सब के सब भरपूर
छोरी हैदराबाद की मस्ती में है चूर
एक अरब के देश में मुस्लिम बीस करोड़
पर कोई ऐसा नहीं जो ले रिश्ता जोड़