Wednesday, October 20, 2010
कसाब का नया स्टंट
मुंबई में हुए २६/११ आतंकी हमले के एक मात्र जीवित एवं बंदी आरोपी मोहम्मद आमिर अजमल कसाब को उसके किये अपराध के लिए विशेष अदालत मौत की सजा सुना चुकी है। देश में कानून की स्थापित परम्पराओं के पालन के लिए उसे उच्च अदालत में अपील का मौका दिया गया है। इसी के तहत उसे विडियो काम्फ्रेसिंग के जरिये अदालत के सम्मुख उपस्थित होना था। इसी उपस्थिति के दौरान कसाब ने उत्तेजित होकर कैमरे पर थूक दिया। यह कोई सहज खीज या क्रोध की अभिव्यक्ति नहींहै। दरअसल कसाब एक बेहद आला दर्जे का आतंकी है। वह इससे पहले भी जेल में जेलकर्मियों के साथ बल प्रयोग कर चूका है। उसका मकसद हमारे सुरक्षा कर्मियों को मरना पीटना या उन्हें हानि पहुँचाना नहीं है। वह तो बहुत ही शातिराना ढंग से अपनी चलें चल रहा है। कसाब का मकसद सुरक्षाकर्मियों को उकसाना है ताकि वे गुस्से में कुछ ऐसा कर बैठे कि देश और देश के बाहर बैठे आस्तीन के दोस्तों को यह मौका मिल जाये कि वे यह शोर मचा सकें कि भारत गणराज्य में जेलों में बंद कैदियों का जीवन सुरक्षित नहीं है। उसे अच्छी तरह मालूम है कि यह सिर्फ भारत में ही संभव है जहाँ अफज़ल गुरु जैसे आतंकवादियों के समर्थन में लोग नारेबाजी करने से नहीं चूकते। फिर कसाब तो करोड़ों का सिक्का है। अफज़ल गुरु के पैरोकार तुरंत कसाब के लिए भी निकल पड़ेंगे। उनको देश, काल , मान-सम्मान से कहीं अधिक अपनी दुकानदारी कि चिंता है। वे हर उस जगह अपनी टांग अडाये नज़र आयेंगे जहाँ कोई मामला ऐसा नज़र आये जिसमे उन्हें देश के बहुसंख्यक वर्ग को चिढाने और अल्पसंख्यक वर्ग को सब्जबाग के सपने दिखाने के अवसर मिलें। कसाब जानता है कि कोई न कोई तो भारतवासी उसके लिए भी मुठ्ठी तन गेगा। इसलिए वह अपने होने का अहसास दिलाने का प्रयास कर रहा है। कि भाई लोग जागें और मानवाधिकार कि चाबुक उठाकर से सुरक्षाकर्मियों को पीटें। हम हिन्दुस्तानियों कि यही खासियत कसाब जैसों को मेहमान का दर्जा देकर उन्हें अपराधी से सीधे साधू या एक विशिष्ट व्यक्ति बना देते हैं। क्या कसाब कि ही तरह अन्य कैदियों को विशेष सुविधा मिलती है? बिलकुल नहीं। फिर कसाब कि क्या खासियत है ? कुछ तो है जो उसे अब तक एक कैदी से ज्यादा एक मेहमान कि तरहकीdइलवा रही हैं। वर्ना क्यों नहीं उससे भी ठीक वैसा ही व्यवहार किया जाता जैसा एक सामान्य कैदी से किया जाता है। उसकी विशेषता यही है कि वह २६ /११ का खलनायक है। वह पहला आतंकी नहीं है जो हमारी सुरक्षा व्यवस्था का मजाक उदा रहा है। उसके भी आका हैं जो मौके की तलाश में हैं । हम शायद एक और २६/११ या कंधार का इंतजार कर रहे हैं। ताकि कुछ सिरफिरे फिर यहाँ आयें और कंधार कांड की पुनरावृत्ति करें।तब तक हमें कसाब को पालना ही है। कसाब भी यह सत्य जानता है। और इसीलिए वह वाही हरकतें कर रहहि जो उसके मकसद को पूरा करती हैं।
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