Tuesday, August 11, 2009

Friday, July 3, 2009

एक दिन भोले खा के गोले
बोले सुनो भवानी
कलयुग में संबंधों की
होगी नई कहानी
नर से नर ब्याहेगा
नारी के संग नारी
संतानों के आगे होगी
माँ बाप की लाचारी
देखो एक दिन ऐसा भी
नया ज़माना आएगा
कोयल होगी कर्कश
कौवा गाना जायेगा

Friday, June 12, 2009

भाजपा में हो रही

देखो जूतम पैजार

जसवंत के बाद यशवंत ने

कर डाला है वार

दे इस्तीफा पदों से

उछाला एक सवाल

किसके कारण हुआ है

पार्टी का ऐसा हाल

कैसे पी एम् बनोगे

बोलो लाल अडवाणी

या चाहिए आपको

चुल्लू भर पानी

सपने में उनको दिख गया

रात में प्यारा चोटी

सुबह उठे तो देखा

गीली हो गई लंगोटी

परेशां हो भूरे बालों पे

अपना हाथ घुमाया

यस सर कहते हुए तभी

रीवा वाला आया

बीरबल भी क्या करे

चोटी है मायावी

aइसा tआला है sala

मिले न जिसकी चावी

चुनाव बहुत नजदीक हैं
अवसर अच्छा जान
भाषावादी हो रहे
लीडर सारे महान
अस्सी फीसद चाहिए
भूमिपुत्र मजदूर
पता जरा कीजिये
kaun कहाँ मजबूर





Thursday, June 4, 2009

स्पीकर बन गई

पहली महिला यार

लेकिन रुक न पायेगी

कभी जूतम पैजार

पहले दिन ही भीड़ गए

शरद से यादव लालू

संसद में हो गई

गली गलोज cहलू

आगे आगे देखिये

आने वाले नज़ारे

मीरा सर पीटेंगी

शोर करेंगे sआरे

Monday, June 1, 2009

कभी कभी यह विचार भी करना चाहिए की एक पत्रकार के लिए क्या महत्वपूर्ण है.यह प्रश्न इसलिए भी आवश्यक हो जाता है जब स्वाभिमान और आडम्बर में किसी एक को चुनने की चुनौती हो। आज मीडिया का अपना एक अलग किस्म का नशा है। जो भी किसी मीडिया से जुड़ा है वह ख़ुद को किसी बड़ी हस्ती से कम नही समझता। भले ही उस संस्थान विशेष मे इज्जत की रोज धज्जियाँ उडाई जाती हो मगर मीडिया के gलैमर के मोह में वह हर अपमान को बर्दाश्त करते हुए अपने काम मे लगा रहता है अथवा उसकी अपनी निजी विवशताएँ उसे जहर के घूँट पीने को विवश कर देती हैं। प्रबंधन के हस्तक्षेप ने आज के पत्रकार की करने मे कोई कसार नही छोड़ी है। कुछ पत्रकार रोज अपनी हत्या होते देखते है पर विवशताओं की पट्टी ने उनके adharसी दिए है । जो अपने आपको बचने मे कामयाब होने की हिम्मत करते है वे संसथान से बाहेर का रास्ता नाप लेते है । मैंने भी दुसरे विकल्प को चुना। आज मै ख़ुद को मुक्त समझता हूँ.

Friday, May 29, 2009

मनमोहनजी ही रहे
आख़िर में सरदार
राहुल बाबा पे नहीं
चला जोर सरकार
दिल्ली के दरबार में
छः दर्जन मंत्री
लालू टापते रह गए
मिला न कोई संत्री
पासवान भी पीटते
अपनी छाती आज
जाने कब अब मिलेगा
nएताजी को raj
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Wednesday, May 27, 2009

यह समाचार सबसे पहले इसी ब्लॉग पर उपलब्ध है, कल आप इसे हर अखबार या ब्लॉग या नेट पर पढेंगे

विलासराव गरुड़ फ़िर बने बसपा के महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष

मुंबई, महाराष्ट्र की दलित राजनीति के उगते हुए सूर्य विलासराव गरुड़ को फ़िर से बहुजन समाज पार्टी का महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष मनोनीत किया गया है। सरकारी नौकरी छोड़कर और अविवाहित रहकर त्याग की मिसाल पेश करने वाले विलाश गरुड़ को पार्टी अध्यक्ष मायावती ने फ़िर से प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौपी है।
सुरेश साखरे को उपाध्यक्ष , किरण आल्हात को महासचिव ,बालासाहेब कर्डक को महासचिव, प्रदीप वानखेडे और भीमराव हाथिंबिरे को भी महासचिव बनाया गया है। अविचल धीवर , राहुल सर्वोदे, विलास राउत और रविन्द्र गवई को सचिव बनाया गया है। चांगदेव गायकवाड को कोषाध्यक्ष और नेमीचंद गेडाम को कार्यालयीन सचिव बनाया है।
नामदेव धावले , किरण मोहिते , नंदकुमार मांडलिक और प्रवीण बर्वे को प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य बनाया गया है.

PRARAMBH

सरोकार में लीजिये
रूचि थोडी श्रीमान
देश, काल , कारण बिना
होती न पहचान
त्रकारिता में घुसे
जब से लोग दलाल
कलम नर्तकी बन गई
ता - ता - थैया दे ताल
मिशन कमीशन का लगा
बड़ा भयंकर रोग
मुह में हड्डी ले घूमते
कुत्तो जैसे लोग
अजयम
सरोकार में लीजिये

रूचि थोडी श्रीमान

देश, कल, कारण बिना


हम पीने पिलाने का हिसाब नहीं रखते

ऐरे गैरे सवाल का जवाब नहीं रखते
हकीकत में जीते हैं खाब नहीं रखते
हम ऐसे वैसे रिंद नहीं हैं मासूम जी
हम पीने पिलाने का हिसाब नहीं रखते
-मुकेश मासूम की रचना
सरोकार

अजय भट्टाचार्य ;
साहित्य और पत्रकारिता का जाना पहचाना नाम
नवभारत में प्रभारी सम्पादक रह चुके हैं। प्रसिद्द स्तम्भ सरोकार लिखते रहे हैं।
विश्व प्रसिद्द पुस्तक सरल गीता लिख चुके हैं। अब ब्लॉग की दुनिया में दस्तक -
संपर्क-9869472325