मान सुहागिन बात हमारी जीवन का आधार बदल दे
राणा शिवा से बेटे जनकर संतति का सब सार बदल दे
आगे बढ़ छाती पर चढ़कर तलवारों की धार बदल दे
नारी तू ही परिवर्तन कर शैया और श्रंगार बदल दे
बाँध पती के कर में राखी सावन का त्यौहार बदल दे । ।
Thursday, February 17, 2011
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