बासंती मौसम ने डाल दिए डेरे
खेत कही विरल विरल कही हैं घनेरे !!
मधु से छलके मधुप्याले
कुदरत ने हैं भर डाले
भौरे काले काले
गुण गुण कर करते हैं कलियों के फेरे
बासंती ...............
Monday, February 7, 2011
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अजय भट्टाचार्य ; साहित्य और पत्रकारिता का जाना पहचाना नाम नवभारत में प्रभारी सम्पादक रह चुके हैं। प्रसिद्द स्तम्भ सरोकार लिखते रहे हैं। विश्व प्रसिद्द पुस्तक सरल गीता लिख चुके हैं। अब ब्लॉग की दुनिया में दस्तक - संपर्क-9869472325
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