Friday, February 5, 2010
देश में करने के लिए कोई काम नहीं है । इसलिए भाई लोग बिजी है । राहुल गाँधी को मुंबई में रहने वाले बिहारियों और अन्य हिन्दीभाषी प्रदेशों के लोगो की चिंता अचानक हुई या बिहार और यूपी के चुनावी गणित के मद्देनज़र यह प्रेम जागा यह बाद में तय होगा । पर एक बात ईमानदारी से मान लेनी चाहिए कि निकट भविष्य में मुंबई में गरीब उत्तर भारतीयों को मुंबई के तथाकथित झंडाबरदारों की गुंडा गर्द्दी का शिकार होना पड़ेगा। ये वे गरीब लोग होते है जो न केवल मुंबई बल्कि उनके भी गालियों के सहज शिकार हो जाते है जो मुंबई में आकर थोड़े बड़े हो गए है। इसकिये जब राहुल बाबा को चिंता हुई तो उनसे ज्यादा चिंता मुख्यमंत्री को हो गयी । जब तक यह बीमारी समझ में आती लगभग आधे से ज्यादा मुंबई कांग्रेस को चिंता हो गयी। सभी एक स्वर में समवेत चीत्कार कर उठे कि बर्दाश्त नहीं करेंगे। सवाल यह है कि हम किस भारत निर्माण की बात करते है , क्यों गाते है पंजाब सिंध गुजरात मराठा से लेकर विन्ध्य ,हिमाचल यमुना गंगा तक का देश गान । बहुत दिनों के बाद राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को भी लगा कि अब हम भी बता दे कि भारत सबके लिए है। महाराष्ट्र विधान सभा चुनाव के पहले तक न तो राहुल बाबा और न ही संघ और उसके मानस वारिस भारतीय जनता पार्टी को यह दिव्य ज्ञान हुआ कि मुंबई सब की है। क्यों? अब राहुल बाबा की मुंबई यात्रा के दर्शन कर लिए जाएँ। हुजुर को बाबासाहेब आंबेडकर के प्रति सम्मान व्यक्त करना था पर इसके लिए प्रतिमा घाटकोपर पूर्व की रमाबाई आंबेडकर नगर की चुनी । मेरी अब तक की जानकारी यह है कि दादर स्थित चैत्य भूमि पर जाकर लोग (राहुल बाबा जैसे ) बाबासाहेब के प्रति सम्मान प्रदर्शित करते रहे
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blog jagat me swagat hai.
ReplyDeletelagta hai aapne BLOGVANI par apna blog attach nahi kiya hai?
-prabhakar dubey