Friday, January 22, 2010

पाकिस्तानी विलाप

२६/११ जैसे हमले हिंदुस्तान में फिर न होने की गारंटी देने से पाकिस्तान ने इंकार कर दिया है। उसका कहना है कि जब घरेलु मोर्चे पर ही वह हमले नहीं रोक पा रहा तो मुल्क के बाहर किसी दूसरे मुल्क में हमले न होने की गारंटी कैसे दे सकता है। अमेरिका के गृह मंत्री रोबर्ट्स गेंट्स के साथ मुलाकात के वक़्त पाकिस्तानी प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ने यह विचार प्रस्तुत किये है। दरअसल पाकिस्तान की यही समस्या है कि आतंक के खिलाफ खुलकर बोलने कि अपेक्षा वह बात को घुमाकर सारी बहस का रुख विपरीत दिशा में मोड़ने का कुचक्र रचता रहा है। इसके लिए या ऐसा करने के पीछे उसकी अपनी मजबूरियां है। पहली मज़बूरी तो यही है कि उसने अपने भस्मासुर खुद तैयार किये है। ये भस्मासुर पाकिस्तान क़ी बेलगाम खुफिया एजेंसी आई एस आई ने कभी भारत के भीतर आतंक मचाने तो कभी अफगानिस्तान में बिरादरों क़ी हिफाजत के लिए अलग अलग नामो और झंडों डंडों के साथ खड़े किये थे। जब तक वे पाकिस्तान और अमेरिका के हितों क़ी रक्षा में व्यस्त थे तब तक न तो पाकिस्तान और न ही अमेरिका को किसी तरह क़ी कोई तकलीफ हुई । लेकिन जब यह भस्मासुर अपने जनक को ही मारने पे आमादा हो गया तब उनका चिंतित होना स्वाभाविक था। २६/११ के बाद से पाकिस्तान में रोजाना कही न कही aआत्मघाती हमले हो रहे हैं। क्या ये हमले भी पाकिस्तान क़ी अपनी ही बेवकूफी का सबब नहीं है .खास बात तो यह है कि अब ये भस्मासुर पाकिस्तानी हुक्मरानों के नियंत्रण से बाहर हो गया है और अपना खुद का शासन स्थापित करना चाहता है। अफगानिस्तान में भी येही हुआ था जब सोवियत सेनाओ से लड़ते लड़ते तालिबान खुद को मुल्क का मालिक समझ बैठा और अपने आकाओ के नियंत्रण से बाहर हो उत्पात मचाने लगा । जाहिर है अब पाकिस्तान किस मुह से कहे कि उसकी जमीं से दीगर मुल्क में गड़बड़ी नहीं कराएगा

1 comment:

  1. Dear sir

    mai ek bhatkta hua insan hoo.mai delhi me rahta rahne wala jaunpur ka hoo. agar apka ashirvad ho mere upar ho sakta hai mere takdeer ki kuch kiran ki asha dekhayi dene lagegi. hum apse ummed rakhte hai ki aap hume sahyog denge.

    Ram Prakash Sharma
    delhi
    9350436974

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