Monday, June 1, 2009
कभी कभी यह विचार भी करना चाहिए की एक पत्रकार के लिए क्या महत्वपूर्ण है.यह प्रश्न इसलिए भी आवश्यक हो जाता है जब स्वाभिमान और आडम्बर में किसी एक को चुनने की चुनौती हो। आज मीडिया का अपना एक अलग किस्म का नशा है। जो भी किसी मीडिया से जुड़ा है वह ख़ुद को किसी बड़ी हस्ती से कम नही समझता। भले ही उस संस्थान विशेष मे इज्जत की रोज धज्जियाँ उडाई जाती हो मगर मीडिया के gलैमर के मोह में वह हर अपमान को बर्दाश्त करते हुए अपने काम मे लगा रहता है अथवा उसकी अपनी निजी विवशताएँ उसे जहर के घूँट पीने को विवश कर देती हैं। प्रबंधन के हस्तक्षेप ने आज के पत्रकार की करने मे कोई कसार नही छोड़ी है। कुछ पत्रकार रोज अपनी हत्या होते देखते है पर विवशताओं की पट्टी ने उनके adharसी दिए है । जो अपने आपको बचने मे कामयाब होने की हिम्मत करते है वे संसथान से बाहेर का रास्ता नाप लेते है । मैंने भी दुसरे विकल्प को चुना। आज मै ख़ुद को मुक्त समझता हूँ.
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