सपने में उनको दिख गया
रात में प्यारा चोटी
सुबह उठे तो देखा
गीली हो गई लंगोटी
परेशां हो भूरे बालों पे
अपना हाथ घुमाया
यस सर कहते हुए तभी
रीवा वाला आया
बीरबल भी क्या करे
चोटी है मायावी
aइसा tआला है sala
मिले न जिसकी चावी
अजय भट्टाचार्य ; साहित्य और पत्रकारिता का जाना पहचाना नाम नवभारत में प्रभारी सम्पादक रह चुके हैं। प्रसिद्द स्तम्भ सरोकार लिखते रहे हैं। विश्व प्रसिद्द पुस्तक सरल गीता लिख चुके हैं। अब ब्लॉग की दुनिया में दस्तक - संपर्क-9869472325
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