Tuesday, August 16, 2011

अन्ना और अधिकार

आखिर अन्ना हजारे को सरकार ने कानून कि तकनीकी झांकी दिखाते हुए कानून कि रक्षा के नाम पर अनशन करने से रोकनी की व्यूह रचना कर कूटनीति का परिचय दिया है। सवाल यह है की आखिर किस बूते भ्रष्ट्राचार से निपटने का दावा सोनिया संचालित मनमोहन सरकार कर रही है? क्या यह सही तरीका है की जों भी भ्रष्टाचार के खिलाफ बोले उसकी आवाज़ को दबा दो? यह कौन सा लोकतंत्र है? सच को राजीव गाँधी ने २५ साल पहले ही जाना था की इस देश की सरकारी योजनाओं का सिर्फ १५ पैसा ही जनता के कम में लगता है बाकि ८५ प्रतिशत पैसा दलाल और भ्रष्ट व्यवस्था चट कर जाती है। ये डाला सरकार के भीतर बाहर दोनों जगह सामान रूप से विद्यमान हैं। उन्हें अन्ना हैसे लोग नहीं चाहिए। इसलिए आन्दोलन भी नहीं चाहिए । यूपी में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर हाय तोबा मचने वाले राहुल गाँधी अब कहाँ हैं? कर्नाटक में घोटालों पर छाती पीटने वाले कांग्रेसी उत्तर दें कि अन्ना गलत कहाँ हैं?



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