Tuesday, September 28, 2010

हे अयोध्या !

लो अब अयोध्या पर फैसले की तारीख भी तय हो गयी है। फिर एक सहमी सहमी सी सनसनी सी है कि क्या होगा । लेकिन एक बात ध्यान रखनी होगी कि इस बार ऐसा कुछ भी न हो कि मानवीयता का चेहरा शर्मशार हो। जिन लोगों ने १९९२-९३ के दंगों को देखा भोगा झेला है उनसे पूछो कि दंगों की विभीषिका क्या होती है? आप नेताओं से ये उम्मीद न करो की वे इतने संवदन शील है की आपकी पीड़ा को समझा सकें। उनको आपकी पीड़ा , आपके कष्टों से कुछ लेने देना नहीं है। वे तो एक ऐसे मौके की तलाश में हमेशा रहते हैं कि कब आप किसी मुद्दे पे अपनी बाहें चढ़ाये और वे आपके हाथों में पत्थर थमा सकें। यही होता रहा है अभी तक। ६ दिसम्बर १९९२ के दिन कारसेवकों का जो रेला श्रीराम जन्मभूमि के आस पास इकठ्ठा हुआ था उसका मकसद विवादास्पद ढांचे को गीराना नहीं था बल्कि वह भीड़ तो एक उन्माद में आकर शक्ति प्रदर्शन के लिए इकट्ठी हुई थी। फिर ढांचा गिरा कैसे? यह प्रश्न वास्तव में अनुत्तरित है । क्योकि कारसेवा के लिए जो लोग अपने घरो से रवाना हुए थे उनके हाथों में कुदालें नहीं थी। न ही उनके पास ऐसी कोई सामग्री थी जिससे वे ४०० साल पुराने ढाचे को गिरा सकते। दरअसल उस भीड़ को इकठ्ठा ही इसलिए किया गया था जिसकी आड़ में विघ्नसंतोषी लोगों को अपना काम करना था । काम हो गया। एक ढाँचे के लिए यह देश एक युद्धभूमि में तब्दील हो गया था। ओने आस्रिन के दोस्तों को एक मौका चाहिय था दो कौमों के बीच फूट डालने का जो उन्हें मिल गया। अब वाही तत्व मिलकर इस मामले को उछलने में लग गए हैं। लेकिन यह भी आधा सच है। अयोध्या के मसले को घोर संकीर्णता के चश्मे से देखने की हमारी आदत ने हमें विवेकशून्य सा कर दिया है । जरा सोचिये अयोध्या से लाभ हानि किसे है। पहले अदालत को सब कुछ मानना फिर अदालत को अपना काम करने से रोकने की कोशिश करना। यह विरोधाभासी चरित्र क्यों। इस उरे मामले में कांग्रेस की भूमिका भी कम गैरजिम्मेदाराना नहीं है।वह इस मुद्दे पर लगातार दोहरी भूमिका में नज़र आई है। इसलिए उसे इस मुद्दे को जिन्दा रखना ही है। मगर एक खतरा जो लोग देखने की कोशिश नहीं कर रहे । वह यह है की कश्मीर में जिन लोगों ने भीड़ को पत्थर पकड़ा दिए वे ही लोग अयोध्या की आंधी में फिर खुनी खेल खेलना चाहते हैं । इसलिए सावधान रहने की जरुरत है। देश का एक बड़ा भूभाग जलप्लावन से जूझ रहा है। ऐसे में दंगा करने की फुर्सत किसे है।

2 comments:

  1. अच्छा विश्लेषण किया ।
    धन्यवाद ।

    ReplyDelete
  2. bhaiya bahut badiya likha hai,par iska asar kitna hoga ya jin kitna rajnitik logo ko kam ayaga.anand mishra

    ReplyDelete