मन के जीते जीत है मन के हारे हार।
जिसको जैसा मन मिले वैसा दिखे संसार । ।
जीत लिया मन आपना नहीं फिर मन सा मीत ।
शत्रु भी इससे न बड़ा जो न पाए जीत । ।
- श्रीमद्भागवद्गीता
अजय भट्टाचार्य ; साहित्य और पत्रकारिता का जाना पहचाना नाम नवभारत में प्रभारी सम्पादक रह चुके हैं। प्रसिद्द स्तम्भ सरोकार लिखते रहे हैं। विश्व प्रसिद्द पुस्तक सरल गीता लिख चुके हैं। अब ब्लॉग की दुनिया में दस्तक - संपर्क-9869472325
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