एक आदमी का जिस्म क्या है जिस पे शैदा है जहाँ
एक मिटटी की इमारत एक मिटटी का मकां
खून का गारा बना है ईंट इसकी हड्डियाँ
चाँद सांसों पे टिका है ये खयाले आशियाँ
मौत की पुरजोर आंधी जब इसे टकराएगी
टूटकर सारी इमारत खाक में मिल जाएगी !!
अजय भट्टाचार्य ; साहित्य और पत्रकारिता का जाना पहचाना नाम नवभारत में प्रभारी सम्पादक रह चुके हैं। प्रसिद्द स्तम्भ सरोकार लिखते रहे हैं। विश्व प्रसिद्द पुस्तक सरल गीता लिख चुके हैं। अब ब्लॉग की दुनिया में दस्तक - संपर्क-9869472325
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