वो अमराईयां वो सरसों के खेत ,
वो नदिया किनारे चांदी सी रेत,
वो भौरों का गुंजन वो कोयल का गाना ,
वो द्वारे पे आ के गौ का रम्भाना ,
वो गाँव का पनघट और पीपल की छाँव
बहुत याद आता है अपना वो गाँव। ।
अजय भट्टाचार्य ; साहित्य और पत्रकारिता का जाना पहचाना नाम नवभारत में प्रभारी सम्पादक रह चुके हैं। प्रसिद्द स्तम्भ सरोकार लिखते रहे हैं। विश्व प्रसिद्द पुस्तक सरल गीता लिख चुके हैं। अब ब्लॉग की दुनिया में दस्तक - संपर्क-9869472325
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