Monday, December 27, 2010



वो अमराईयां वो सरसों के खेत ,


वो नदिया किनारे चांदी सी रेत,


वो भौरों का गुंजन वो कोयल का गाना ,


वो द्वारे पे आ के गौ का रम्भाना ,


वो गाँव का पनघट और पीपल की छाँव


बहुत याद आता है अपना वो गाँव। ।

मत पूछो यारो हमसे क्या चीज जवानी है ।

छेड़ो तो नगमा है वर्ना खामोश कहानी है।

उम्र का ऐसा दौर है ये जब दिल बेकाबू होता है,

रोक सका न इसको कोई ये वो दरिया तूफानी है ।

इस तरह अपनी कहानी किसी को बता नहीं ।

खता करके न कहना की हमने खता नहीं ।

पूछे जब कोई क्या रिश्ता है 'अजय' से,

नज़रें झुका के कहना हमको पता नहीं।

जितना प्यार मेरे जीवन का वह सब तुमको दे डाला , जितना खार तेरे जीवन का वह सब मैंने पी डाला

अब रही वेदना सिसक -सिसक तुम उस से सेज सजा लेना , शेष बचे जो खारे आंसू उनसे तेरा तन धो डाला !